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छत्तीसगढिय़ा हांव मैं
सब ले बढिय़ा हांव मैं
इहां के पानी इहां के माटी
रहईयां इहां के इहां के भूईय्या
कहे सोन चिरईय्या हंव मैं
छत्तीसगढ़ के मोर भुईय्या ला धान कटोरा कईथे
सब्बों धरम के संगी साथी जुरमिल के बने रहिथे
लड़ई अऊ झगड़ा ले दूर रहिथें
हम सब झने मन एक हे कहिथें
अऊ कहिथे-छत्तीसगढिय़ा हंव मैं
सबले बढिय़ा हंव मैं
बस्तर के डोंगरी मन मा बड़ लोहाय लोहा भरे
देवभोग के डोंगरी तीर तीर मा हिरा लबालब गडे
सिसम अऊ सागौन के रूख के हरियर
चिरई मन ऐती ओती उडथे भर भर
अऊ कहिथए
छत्तीसगढय़ा हांव मैं
सब ले बडिय़ा हांव मैं
इहां के पानी इहां के माटी
रहईया इहां के इहां के भूईय्या
कहे सोन चिरईय्या हव मैं
छत्तीसगढिय़ा हांव मैं
सबले बढिय़ा हांव मैं
1991 से प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में कार्यरत तपेश जैन ने अब तक 25 से भी ज्यादा डाक्युमेंट्री फिल्मों का निर्देशन किया है। ये सभी वृत्तचित्रों की स्क्रिप्ट भी उन्होंने लिखी है। छत्तीसगढ़ के प्रयाग-राजिम पर आधारित डाक्युमेंट्री फिल्म- च्च्स्वर्णतीर्थ-राजिमज्ज् की समीक्षा देश की प्रतिष्ठित पत्रिका इंडिया टूडे में प्रकाशित हो चुकी है। छत्तीसगढ़ के तीन शक्तिपीठ डोंगरगढ़, रतनपुर, और दंतेवाड़ा पर आधारित वृत्ताचित्र मां बम्लेश्वरी, मां दंतेश्वरी, मां महामाया के अलावा बस्तर के आदिवासियों के स्व सकूर्त आंदोलन च्च्सलवा जुडुमज्ज् विशेष उल्लेखनीय है। दो वीडियो फिल्म च्च्डेहरी के मानज्ज् और च्च्जय राजीवलोचनज्ज् के अलावा एक विज्ञापन फिल्म का निर्देशन कर चुके श्री जैन को न्यूज पेपर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया, नई दिल्ली, रायपुर प्रेस क्लब के अलावा कई संस्थाओं ने सम्मानित किया है। लोकमान्य सदभावना समिति के अध्यक्ष श्री तपेश जैन अब तक कई जनहित के कार्यक्रम करवा चुके है तो छत्तीसगढ़ लोकरंग के माध्यम छत्तीसगढ़ कला, संस्कृति को नया आयाम प्रदान किया है। ऊर्जावान श्री जैन जीवन दर्शन में रूचि रखते है और निरंतर नया कुछ करना उनका ध्येेय है। मधु शर्मा
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